Tuesday, February 5, 2013

औरत का क़ानूनी जलवा


चपरासी के अलावा ऑफ़िस के सभी लोग जा चुके थे। सीईओ अपने रूम में जुटे हुए थे। हालाँकि उनकी उम्र काफ़ी हो चुकी थी फिर भी बस एक जोश था, जो उन्हें अब भी नौजवानों की तरह जुटे रहने के लिए मजबूर करता था लेकिन जवानी बीत जाए तो सिर्फ़ जोश से ही काम नहीं चलता। सीईओ साहब जल्दी ही निपट गए। 
उनकी सेक्रेटरी को भी जो कुछ ठीक करना था, हमेशा की तरह ठीक कर लिया। सीईओ साहब ने अपनी सेक्रेटरी के चेहरे पर नज़र डाली। वहां कोई शिकायत न थी। वह मुतमईन हो गए और अपना ब्रीफ़ेकेस उठाकर चलने ही वाले थे कि सेक्रेटरी ने आज का न्यूज़ पेपर उनके सामने रख दिया, जिसमें यौन हमले और शोषण का अध्यादेश लागू होने की ख़बर थी।
सेक्रेटरी मुस्कुराते हए बोली -‘आप क्या चुनना पसंद करेंगे, 20 साल की क़ैद या ...?‘
‘क...क...क्या मतलब ?‘- सीईओ साहब हकला भी गए और बौखला भी गए।
सेक्रेटरी ने जवाब देने के बजाय एक एप्लीकेशन उनके सामने रख दी। उसका पति कंपनी का 50 लाख रूपये का स्क्रेप बेचने की अनुमति चाहता था। 
‘यह तुम ठीक नहीं कर रही हो।‘-सीईओ साहब ने हिम्मत करके उसे चेताया।
‘...और आज तक आप जो कुछ करते आए हैं, वह ठीक था ?’-सेक्रेटरी ने तल्ख़ लहजे में ज़रा ऊँची आवाज़ करके कहा।
‘वह सब तुम्हारी रज़ामंदी से होता था।‘-साहब ने उसे याद दिलाया।
‘हाँ, मेरी रज़ामंदी से होता था क्योंकि मैं घुटन से आज़ादी पाना चाहती थी।‘-उसने टेबल पर बैठते हुए उसकी जेब से उसका पेन निकाला और उसके हाथ में थमा दिया।
‘...तो इसके लिए तुमने मेरा इस्तेमाल किया ?‘-सीईओ साहब कुर्सी पर न बैठे होते तो शायद वह चकरा कर गिर जाते।
‘हाँ किया और आपकी रज़ामंदी से ही किया।‘-उसने चेक को उनके बिल्कुल सामने कर दिया।
‘...तो अब क्या चाहती हो ?‘-उन्होंने थके से लहजे में पूछा।
‘बस एक साइन ...‘-उसने ज़रा इठलाकर उनके गाल पर उंगली फिराई।
सीईओ साहब कुछ तय नहीं कर पा रहे थे। तभी लेडीज़ पर्स में रखे मोबाईल पर किसी की कॉल आई। उसने टेबल से उतर अपना मोबाईल चेक किया।
‘जल्दी कीजिए। मेरे पति बाहर खड़े हैं। अगर मैं बाहर न गई तो फिर वह यहाँ अंदर चले आएंगे।‘-सेक्रेटरी ने उसे दबे अल्फ़ाज़ में धमकी दी। 
साहब ने उससे पेन ले लिया और एप्लीकेशन पर मंजूरी लिख कर अपने साईन बनाने लगे। वियाग्रा उनके हाथ को काँपने से नहीं रोक पा रही थी। आज उन्हें औरत अपने से बहुत ज़्यादा मज़बूत नज़र आ रही थी . नया क़ानून उसके साथ था।

4 comments:

  1. गजब -
    सच्चाई तो नजर आती है भाई-

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  2. वाक़ई, नए क़ानून का इस शक्ल में भी इस्तेमाल हो सकता है. चेताने वाली नसीहत के लिए शुक्रिया.

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  3. बहुत बड़ी सच्चाई से पर्दा उठा दिया आपने ,हर तथ्य के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष होते है उनसे अवगत कराने के लिए साधुवाद

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