Saturday, September 15, 2012

ऐसे बनाएं खुद को मजबूत

यदि आप अक्सर शंकाओं में घिरी रहती हैं, कोई भी निर्णय लेने से हिचकिचाती हैं या फिर खुद पर भी भरोसा नहीं कर पाने के कारण कोई नई पहल नहीं कर पातीं, तो इसका मतलब है आपको खुद को मजबूत बनाने की जरूरत है। कैसे? आइये जानें..
आप होम मेकर हैं या फिर नौकरी पेशा महिला, चुनौतियों से दो-चार होना ही पड़ता है। कई पल ऐसे भी आते हैं, जब खुद से ही विश्वास डगमगाने लगता है। ऐसे में जरूरत होती है कुछ ऐसे बदलावों की, जो आपको भीतर तक मजबूत बनाएं, साथ ही आपको अलग पहचान दिलाने में भी मदद करें।  
1. खुद पर करें विश्वास: कैसी भी स्थिति क्यों न हो, यह विश्वास बनाए रखें कि आप इसका सामना कर सकती हैं। हमेशा ध्यान रखें कि आप  खुद के बारे में जितना सोचती हैं, उससे कहीं अधिक काम करने में सक्षम हैं।   
2. प्रश्न पूछें: पहले से यदि कुछ होता रहा है तो यह जरूरी नहीं कि वह सही भी हो या फिर आपके लिए भी उसकी उतनी ही उपयोगिता हो। सच्चाई तो यह है कि हमारी अधिकतर सीमाएं खुद की बनाई होती हैं। पहले से अपने मन में धारणाएं बनाकर रखना संभावनाओं को खत्म कर देता है। 
3. करें वही, जो हो सही: किसी भी चीज या अच्छाई-बुराई से बड़ी बात यह है कि आप खुद के प्रति ईमानदार रहें। फिर भले ही यह रास्ता मुश्किल ही क्यों न हो। हो सकता है कि कुछ बातें आपकी लोगों को बुरी लग सकती हैं, पर यदि आप सही हैं तो पूरा परिवार या सहकर्मी जल्द ही आपकी बात को स्वीकार करने लगेंगे।
4. नहीं कहना भी सीखें: हर बात के साथ सहमति जताने का एक मतलब है खुद को सीमित करना। कई बार सर्वश्रेष्ठ तक पहुंचने के लिए दूसरे अच्छे विकल्पों को भी ना कहना पड़ता है। घर-परिवार या कार्यस्थल पर काम करते हुए आपको अपनी प्राथमिकताएं हमेशा ध्यान रखनी चाहिए। ऐसे में यदि कोई बात ऐसी है, जो आपको पूरी तरह नामंजूर है या आपकी क्षमता से बाहर है, तो उसे अवश्य बताएं। अन्यथा हर चीज से तालमेल बना लेने के आपके स्वभाव का फायदा उठाने में लोगों को देर नहीं लगेगी। 
5. शिकायत करना बंद करें: आप अपनी समस्याओं से तब तक बाहर नहीं निकलेगी,जब तक आप उनके बारे में शिकायत करती रहेंगी। आप क्या चाहती हैं, इस पर अपनी ऊर्जा लगाएं, बजाय इसके कि आप क्या नहीं चाहतीं। इसी तरह आप क्या कर सकती हैं, इस पर ध्यान दें, यह नहीं कि आप क्या नहीं कर सकतीं। 
6. बड़ा सोचें: यदि आप ज्यादा बेहतर कर सकती हैं तो कम से समझौता क्यों करें। अपनी दूरदृष्टि को व्यापक बनाएं। ध्यान रखें कि यदि आप सोच सकती हैं तो आप उस काम को कर भी सकती हैं। सभी बड़े काम पहले मन से शुरू होते हैं। कभी-कभार अपने प्रियों की भी छोटी-छोटी बातें चुभ जाती हैं, पर उस समय तस्वीर के बड़े पक्ष को देखें। 
7. अनुकूलता से बाहर निकलें: अपने जीवन को दूसरों की राय के आधार पर न चलाएं। सुविधाओं से बाहर निकलने का साहस दिखाएं। आप क्या सोचती हैं, उसको अभिव्यक्त जरूर करें। तभी जो सोचती हैं, वह कर सकेंगी। 
8. आवाज उठाएं: जितना आप सहती हैं, उतना ही आपको सहने के लिए मजबूर किया जाता है। यदि ऐसा कुछ है, जो आप सच में कहना या करना चाहती हैं, तो अवश्य उन्हें बताएं, जो आपको समझते हैं। अपनी बात रखने से पीछे न हटें। निर्भय होकर अपनी बात कहना सीखें। 
9. खुद से हार न मानें: जितने मजबूत आपके इरादे होंगे, उतनी ही सफलता आपको मिलेगी। मुश्किल स्थितियां आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। जितना अधिक चुनौतियों का सामना करेंगी, उतना ही सबके सामने खुद को मजबूती से रख सकेंगी। ऐसे में शुरुआती संघर्षो से घबराएं नहीं। 
10. कदम उठाएं: जीवन में सफलता उसी को मिलती है, जो अपने तमाम डर और शंकाओं के बावजूद कदम उठाते हैं और विपरीत परिस्थितियों में निर्णय ले पाते हैं। जोखिम के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। अपने डर से आगे निकलने की कोशिश करें।
साभार हिंदुस्तान 15-09-2012
http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/lifestylenews/article1-Personality-development-50-50-262339.html

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